मानव कंप्यूटर शकुंतला देवी



मानव कंप्यूटर के नाम से जाने जाने वाले शकुंतला देवी जिनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में 4 नवंबर 1969 को कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में हुआ | शकुंतला देवी के पिता विश्वामित्र माने ब्राह्मण परिवार से संबंध रखने के बाद भी किसी मंदिर के पुजारी न  होकर एक सर्कस में करतब दिखाते थे | गरीब परिवार से होने के कारण उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी उन्हें नहीं मिली थी ,
जब  शकुंतला देवी मात्र 3 साल की थी, उनके पिता को अहसास हुआ कि उनकी बेटी में आंखों से खेलने की अद्भुत क्षमता है| शकुंतला देवी ने अपने पिता को बहुत बार ताश के खेल में हराया | जब उनके पिता को अपनी बेटी की अद्भुत क्षमता का पता चला तो उन्होंने सर्कस में करतब दिखाना छोड़कर शकुंतला के साथ कई सार्वजनिक कार्यक्रम करने शुरू किए |अपने पिता के साथ करतब दिखाने वाली शकुंतला देवी को अभी तक इतनी लोकप्रियता नहीं मिली थी परन्तु  15 वर्ष की शकुंतला देवी ने जब सुर्खियां बटोरी जब बीबीसी के एक कार्यक्रम में उनसे बहुत मुश्किल गणित का सवाल पूछा गया और उन्होंने बड़ी सरलता से उसका जवाब दिए | शकुंतला देवी को गणित के साथ ज्योतिष में भी दिलचस्पी थी वह एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ एक लेखक भी थी | उनका विवाह 1960 में एक बंगाली आईएएस अधिकारी परितोष बनर्जी के साथ हुआ पर दुख की बात यह है कि उनका वैवाहिक संबंध बहुत दिन तक नहीं चला और 1979 में अपनी बेटी के साथ बेंगलुरु आकर रहने लगी , यही पर उन्होंने सेलिब्रिटी और पॉलिटिशियन को अनेक ज्योतिष परामर्श भी दिए| शकुंतला देवी ने  70 से अधिक देशों की यात्राएं की और अपनी अद्भुत गणितीय क्षमता का प्रदर्शन किया | छोटी उम्र में अपनी अद्भुत गणितीय कला का प्रदर्शन करने वाले शकुंतला देवी ने 16 वर्ष की आयु में 13 अंको की संख्या का गुणनफल 28 सेकंड में निकालकर उस समय के सबसे तेज कंप्यूटर को भी 10 सेकेंड के अंतर से हरा दिया था  | 1977 की एक घटना जब अमेरिका में एक आधुनिक कंप्यूटर यूनीवैक से उनका मुकाबला हुआ जिसमें शकुंतला देवी को 201 अंको की एक संख्या का 28 वा मूल निकालना था, जिसमें उन्होंने  50 सेकंड लगी और कंप्यूटर को 62 सेकंड लगी |इस घटना के बाद ही उन्हें मानव कंप्यूटर का नाम दिया गया और वह पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गई  |

अद्भुत प्रतिभा की धनी शकुंतला देवी को बहुत पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें 1969 में गोल्ड मैडल फिलीपीन विश्वविद्यालय से प्राप्त  हुआ ।शकुंतला देवी की इसे अविश्वसनीय प्रतिभा की मद्देनज़र रखते हुए उनका नाम 1982 में गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया। 
उनकी मृत्यु से कुछ दिन पहले भी उन्हें मुंबई सरकार  द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट  अवार्ड से सम्मानित किया गया। एक लम्बी बीमारी के चलते शकुंतला देवी ने २१ अप्रेल 2013 को हार्ट अटेक के कारण 83 साल की आयु में अपने जन्मस्थान बंगलौर में दम तोड़ दिया। 






 

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